शनिवार, 9 मई 2015

Teri Aankh ke Ansoo Pee Jaoon...

.A Tribute to Cine Beauty Mala Sinha..

माला सिन्हा 
तळत महमूद 
गीतकार राजेन्द्र कृष्ण  का लिखा और तलत महमूद की कंपन भी जादुई आवाज़ में गया हुआ यह गीत आज भी सीधा दिल में उतरता है। फिल्म जहां आरा के इस गीत को संगीत से संवारा था मदन मोहन ने.---सुनिये--देखिये और चाहें तप पढ़िए भी वह यादगारी गीत:
तेरी आंख के आंसू पी जाऊ ...

तेरा ग़मख्वार हूँ लेकिन मैं तुझ तक आ नहीं सकता
मैं अपने नाम तेरी बेकसी लिखवा नहीं सकता

तेरी आँख के आँसू पी जाऊ, ऐसी मेरी तकदीर कहाँ
तेरे ग़म में तुझको बहलाऊ, ऐसी मेरी तकदीर कहाँ

मदन मोहन 
राजेन्द्र कृष्ण 
ऐ काश जो मिल कर रोते, कुछ दर्द तो हलके होते
बेकार ना जाते आँसू, कुछ दाग जिगर के धोते
फिर रंझ ना होता इतना, हैं तन्हाई में जितना
अब जाने यह रास्ता ग़म का, है और भी लम्बा कितना
हालात कि उलझन  सुलझाऊं, ऐसी मेरी तकदीर कहाँ

क्या तेरी ज़ुल्फ़ का लहरा, हैं अब तक वही सुनहरा
क्या अब तक तेरे दर पे, देती हैं हवायें पहरा
लेकिन है ख़्वाब खयाली, तेरी ज़ुल्फ़ बनी हैं सवाली
मोहताज है एक कली की, एक रोज़ थी फूलोंवाली
वह ज़ुल्फ़-ए-परेशान महकाऊ, ऐसी मेरी तकदीर कहाँ
तेरी आंख के आंसू पी जाऊ ...

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें