शनिवार, 21 दिसंबर 2013

Gurinder Sood distributed sweets on Christmas eve (+प्लेलिस्ट)

यह सिलसिला जनाब गुरिंदर सूद ने बरसों पहले शुरू किया था

21-12-2013 पर प्रकाशित
टाफियों से भरी एक थाली झट से सामने आ जाती है
बच्चों को यहाँ टाफी हर समय मिलती है---आधी रात को छोड़ कर---- यह सिलसिला जनाब गुरिंदर सूद ने बरसों पहले शुरू किया था और आज तक जारी है---- इस कम्प्लेक्स में दाखिल होते ही टाफियों से भरी एक थाली झट से सामने आ जाती है---जलपान की शुरूआत बाद में होती होती है---पर आज बच्चों को यहाँ केक भी मिल रहा था और गर्म गर्म काफी भी---क्रिसमस से कुछ दिन पूर्व 20 दिसंबर 2013 को बच्चों ने इस त्यौहार का खूब लुत्फ़ उठाया---नाचा-- गाया और कुछ पल के लिए मिली मस्ती में वे अपना हर गम भूल गए। न कोई, मालिक था न कोई नौकर---कुछ समय के लिए सब बराबर हो गए थे---बरबस ही याद आ रहा था वह गीत आज गा लो मुस्करा लो--महफिलें सजा लो----! खुशियों की यह बरसात हुई थी लुधियाना के चौड़ा बाज़ार में स्थित Legesy शोरूम में और हर वर्ष की तरह इसका आयोजन किया था इस संस्थान के संचालक गुरिंदर सूद ने। सम्मानित बज़ुर्ग मंजीत रये भारद्धाज, उनके बेटे निर्दोष भारद्धाज, कामरेड रमेश रत्न, राजेश गांधी, जानेमाने समाज सेवी अरुण कत्याल, रवि राज सोई और बहुत से अन्य लोग---जब फादर दरबारा सिंह की टीम ने वहाँ मसीही भजन गाया तो वहाँ मौजूद सिद्धू साहिब ने भी अपने चिमटे का रंग दिखाया।पूछा पुलिस में होकर यह संगीत साज़ कहाँ से सीखा तो बोले प्रभातफेरी में जाता हूँ। इस तरह यहाँ सभी धर्मों के लोग बहुत ही प्रेम से जुड़े थे---साम्प्रदायिक सदभावना की गंगा बह रही थी और साथ ही सवाल भी कर रही थी अगर यहाँ सब मिलजुल कर प्रेम से सारा त्यौहार मना सकते हैं तो सरे देश में ऐसा क्यूँ नहीं हो सकता?सरे विश्व में ऐसा क्यूँ नहीं हो सकता? --रेकटर कथूरिया (पंजाब स्क्रीन)

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें